जो तुम खुद को सोचते हो वो तुम नहीं, और न ही तुम कुछ और हो || आचार्य प्रशांत (2013)
2019-11-23 1
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग १ जून २०१३ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: जो तुम खुद को सोचते हो वो तुम नहीं, और न ही तुम कुछ और हो? क्या हैं मेरे अंदर जो कभी किसी से प्रभावित नहीं हो सकता हैं? साक्षित्व होने का क्या अर्थ हैं?